Hindi Short Story With Moral for Class 4

यह कहानी आज से लगभग 30 वर्ष पुरानी होगी। पञ्जाब प्रान्त के एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था। उसका नाम अविनाश था। वो प्रतिदिन ताँगे पर बैठ कर पाठशाला जाया करता था। उस समय गाँव में रिक्शा या ऑटो नहीं होते थे। वह मात्र 6-7 वर्ष का होगा तथा वो दूसरी कक्षा में पढ़ता था।
उसके पिता जी उसके पाठशाला से आने पर उसको भिन्न प्रकार के फल इत्यादि खाने के लिये देते तथा उसकी माँ उसके लिये चाय के साथ बिस्कुट आदि देती। कभी कभी उसे भूख लगी होती तो वो एकाध रोटी भी खा लेता था। बस कुछ खा लेने के उपरान्त वो शीघ्र ही खेलने चला जाता था। उन दिनों घर के बाहर खुले मैदानों में खेलते थे सारे बच्चे–घर में बैठना एक दण्ड की भाँति होता था।



छोटा सा गाँव था वह और लगभग सभी निवासी एक दूसरे को जानते-पहचानते थे। अविनाश के पिता ने एक फल बेचने वाले को कहा हुआ था कि अगर उनका बेटा कोई फल माँगे तो उसे दे देना तथा पैसे उनसे बाद में ले लेना।
एक दिन अविनाश थका हुआ सा घर की ओर लौट रहा था। ताँगे वाले उसे मोहल्ले के मोड़ पर उतार दिया करता था। अविनाश ने देखा कि फल बेचने वाले के ठेले पर लाल-लाल सेब पडे हैं। उसको भूख तो लगी ही हुई थी। बस उसने बिना पूछे चुपके से एक सेब उठाया तथा घर की ओर शीघ्रता से बढ़ने लगा।
ठेले वाले ने उसको सेब उठाते देख लिया था पर उसने कुछ नहीं कहा क्योंकि उसे पता था कि उसके पिता पैसे दे देंगे। अगले दिन उसके पिता ने अविनाश से कहा कि यदि उसे सेब अच्छा लगता है तो वो प्रति दिन फल बेचने वाले से सेब ले सकता है। उन्होनें उसको चोरी के लिये कुछ नहीं कहा। अविनाश सोच में पड़ गया कि उसके पिता को कैसे पता चला कि उसने सेब चुराया था। उसने प्यार से बड़े धीरे से पूछा तो उसके पिता ने कहा कि ठेले वाले ने तुम्हें सेब उठाते हुये देख लिया था पर उसने तुम्हें कुछ नहीं कहा क्योंकि मैंने उसे कहा हुआ था। अविनाश को बड़ी ग्लानि हुई कि उसके पिता उसका कितना ध्यान रखते हैं पर उसने कैसे चोरी करके सेब खाने की सोची। जबकि उसके पिता को पता चल गया था कि उसने चोरी की है तब भी उन्होनें उसे नहीं डाँटा। वो चाहे तो प्रति दिन फल वाले से सेब लेकर खा सकता है।
वो सिसकता हुआ अपने पिता के गले लग गया तथा बोला कि आगे से वो कभी भी चोरी नहीं करेगा।
शिक्षा: चोरी करने से अपनों को कष्ट होता है।





