कोई भी वस्तु, प्राणी, गुण, दशा या भाव के नाम को ही हम संज्ञा कहते हैं।
जैसे— सिंह, लड़की, दीवार और घास आदि।
संज्ञा के तीन भेद निम्न लिखित हैं-
- जातिवाचक संज्ञा
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
जातिवाचक संज्ञा—जो शब्द एक ही प्रकार के सभी वस्तुओं या प्राणियों का बोध कराता हो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे—बकरी, पुस्तक, पङ्खा, लड़का आदि।
व्यक्तिवाचक संज्ञा—जो शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध कराता हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे—महात्मा गाँधी, आगरा, गङ्गा आदि।
भाववाचक संज्ञा—जिन शब्दों से मन के द्वारा अनुभव किये जानेवाले भावों का बोध होता हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
इस संज्ञा को देखा या छुआ नहीं जा सकता बल्कि अनुभव किया जाता है।
जैसे—अवगुण, कोमलता, ठण्ड, बचपन आदि।
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