हिन्दी भाषा सीखें–विस्मयादिबोधक अव्यय (Kinds of Hindi Interjections)
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विस्मयादिबोधक अव्यय (Kinds of Hindi Interjections)
विस्मयसूचक – वाक्य में विस्मय (आश्चर्य) के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. अरे ! कहाँ से आ रहे हो ? 2. सच ! यह तो बहुत अच्छी सूचना दी। 3. क्या ! वह असफल हो गया।
हर्षसूचक – वाक्य में हर्ष के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. वाह ! यह तो कमाल ही हो गया। 2. अहा ! अब आयेगा मज़ा । 3. शाबाश ! यह तेरे परिश्रम का परिणाम है।
शोकसूचक – वाक्य में शोक या दुख के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. हाय ! मेरी मेहनत बेकार गई। 2. आह ! यह घटना कैसे घटी। 3. ओह ! तुझे किसने पीटा ?
अनुमोदनसूचक – वाक्य में अनुमोदन के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. हाँ, हाँ ! तुम्हारा काम बिलकुल ठीक है। 2. बहुत अच्छा ! परिश्रम से ही तुम सफल हो पाओगे। 3. अवश्य ! मैं आपका साथ दूँगा।
सम्बोधनसूचक – वाक्य में जब सम्बोधन के भाव का प्रकट हो। जैसे – 1. अरे ! नज़दीक बैठो। 2. ए ! कहाँ जा रहे थे ? 3. अरी ! ज़रा मुझे तो दिखा दो।
तिरस्कारसूचक – वाक्य में तिरस्कार अथवा घृणा के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. छि: ! जल कितना गन्दा है। 2. थू ! आज से तू मेरे साथ बात न करना। 3. धत् ! ऐसी बातें नहीं करते।
स्वीकारबोधक – वाक्य में स्वीकार के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. जी हाँ ! वह मेरे पास आई थी। 2. हाँ ! मैंने ही तेरी पुस्तक चुराई है। 3. जी ! आपका काम अवश्य होगा।
विदासूचक – वाक्य में विदाई के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. अच्छा ! अब चलने की आज्ञा दें। 2. अच्छा जी ! प्रणाम। 3. टा-टा ! फिर मिलना होगा।
भयबोधक – वाक्य में भय के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. अरे बाप रे ! यह अजगर कहाँ से आया ? 2. उई माँ ! यह कैसे हो गया ? 3. त्राहि- त्राहि !
विवशताबोधक – वाक्य में विवशता के भाव का प्रकट होना। जैसे – 1. काश ! मेरी माँ जीवत होती। 2. कदाचित् ! हम वहाँ जा पाते। 3. हे भगवान ! अब मैं क्या करूँ ?