कोई था जो रोहतक से चलकर रूह तक आता था अब तो जलने और जलाने के समाचार ही आते हैं। वो बातें किया करता... Read More
हिन्दी कविता
अरी सखी कौन कहता है तू अबला है तू तो लक्षमी है जो रणचण्डी बनी। तू तो सत्य से भी विचित्र कल्पना है... Read More
तुम मेरे नहीं हो सकते ये मैं जानता हूँ। मैं जानता हूँ तुम मेरे नहीं हो सकते। मगर क्या कभी काँटों ने फूलों की तरह... Read More